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सिंहासन | Simhasana
विधि
- वज्रासन में बैठने ।
- घुटनों को जितना हो सके उतनी दूरी पर रखें ।
- उंगलियों को अपने शरीर की तरफ करते हुए हाथों को घुटनों के बीच में जमाइए।
- सीधी भुजाओं के सहारे थोड़ा आगे की ओर झुकिए।
- सिर को पीछे की ओर लटकाकर जितना सम्भव हो उतना मुँह खोल। जीभ को बाहर निकालिए।
- आँखों को खोलकर भ्रूमध्य पर केन्द्रित करें।
- नाक से श्वास लेकर मुँह से स्पष्ट एवं स्थिर आवाज निकालते हुए धीरे-धीरे श्वास छोड़िए।
जीभ को दाएं-बाएं घुमाते हुए श्वास छोड़ सकते हैं। कम से कम दस बार दोहराइए। रोगी को पन्द्रह-तीस बार करना चाहिए।
ध्यान का केंद्र
विशुद्धि-चक्रलाभ
- हकलाकर बोलने वालों तथा गले, नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिए यह श्रेष्ठ आसन है।
- इससे स्वस्थ, गंभीर और मधुर स्वर का विकास होता है।
- इस आसन को सर्वरोगहर भी कहते हैं।
- अतः स्वस्थ व्यक्ति को भी नित्य करना चाहिए ताकि कोई रोग न सताए।