Yoga & Respiratory System

सिंहासन | Simhasana

सिंहासन | Simhasana

विधि

  1. वज्रासन में बैठने । 
  2. घुटनों को जितना हो सके उतनी दूरी पर रखें । 
  3. उंगलियों को अपने शरीर की तरफ करते हुए हाथों को घुटनों के बीच में जमाइए। 
  4. सीधी भुजाओं के सहारे थोड़ा आगे की ओर झुकिए। 
  5. सिर को पीछे की ओर लटकाकर जितना सम्भव हो उतना मुँह खोल। जीभ को बाहर निकालिए। 
  6. आँखों को खोलकर भ्रूमध्य पर केन्द्रित करें। 
  7. नाक से श्वास लेकर मुँह से स्पष्ट एवं स्थिर आवाज निकालते हुए धीरे-धीरे श्वास छोड़िए।
जीभ को दाएं-बाएं घुमाते हुए श्वास छोड़ सकते हैं। कम से कम दस बार दोहराइए। रोगी को पन्द्रह-तीस बार करना चाहिए। 



ध्यान का केंद्र

विशुद्धि-चक्र

लाभ

  • हकलाकर बोलने वालों तथा गले, नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिए यह श्रेष्ठ आसन है। 
  • इससे स्वस्थ, गंभीर और मधुर स्वर का विकास होता है। 
  • इस आसन को सर्वरोगहर भी कहते हैं। 
  • अतः स्वस्थ व्यक्ति को भी नित्य करना चाहिए ताकि कोई रोग न सताए।