वज्रासन | Vajrasana
वज्र एक प्राणशक्ति प्रवाहिका नाड़ी का नाम है। इसका सम्बन्ध जननेन्द्रिय और मूत्र निष्कासन प्रणाली के साथ है। अतः इस वज्रासन आसन से गर्भाशय, आमाशय आदि पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यह आसन 'कन्द' पर अत्यधिक प्रभाव डालता है जिससे ७२,००० नाड़ियां निकलती हैं।
विधि:
१. घुटने के बल बैठिए|
२. पंजों को पीछे फैलाकर एक पैर के अंगूठे को दूसरे पैर के अंगूठे पर रखे अथवा स्पर्श करे|
३. एड़िया अलग रहे किन्तु घुटनों को सटाये रहे|
४. अब नितम्बों को पंजो के बीच में रखिये, अतः एड़िया कुल्हो की तरफ हो|
५. हथेलियों को घुटनों पर रखिये|
६. कमर व गर्दन सीधी रखे| शरीर ढीला रहे| श्वास सामान्य रहे|
ध्यान का केंद्र - मणिपुर चक्र
लाभ: इस आसन से होने वाले लाभ अनगिनत हैं।
- पेट के रोग
- साइटिका
- गैस
- पैरों के दोष
- वीर्य सम्बन्धी दोष
- मूत्र प्रणाली सम्बन्धी दोष आदि इस आसन से दूर होते हैं।